उप्र सरकार की कैबिनेट ने अडानी पावर लिमिटेड से 1500 मेगावाट तापीय बिजली खरीदने को मंजूरी दी, सरकार का दावा मिलेगी सस्ती बिजली,

लखनऊ मई। उत्तर प्रदेश में से 42 जिलों के विद्युत वितरण को निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया चल रही है। जिसके विरोध में बिजली कर्मचारी व अधिकारी आंदोलित है। प्रदेश मुख्यालय सहित जिलों जिलों में क्रमिक अनशन कर रहें है। मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में अडानी पावर लिमिटेड की 1600 मेगावाट क्षमता की तापीय परियोजना से कुल 1500 मेगावॉट बिजली 25 वर्षों तक (5.38 रुपए प्रति यूनिट) खरीदने का निर्णय लिया गया है। आंदोलित कर्मचारी सरकार के इस फैसले से और नाराज हो गए है।
सरकार का दावा है कि उत्तर प्रदेश को साल 2030-31 से 1500 मेगावॉट बिजली बेहद सस्ती दर पर मिलने लगेगी। यह नई परियोजना मौजूदा और आगामी तापीय परियोजनाओं की तुलना में कहीं ज्यादा किफायती है। जहां जवाहरपुर, ओबरा, घाटमपुर, पनकी जैसी परियोजनाओं से बिजली 6.6 रुपए से लेकर 9 रुपए प्रति यूनिट तक मिल रही है, वहीं प्रस्तावित परियोजना से 2030-31 में प्लांट के कमीशन होने के बाद बिजली सिर्फ 6.10 रुपए प्रति यूनिट की दर से मिलेगी।
ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने बताया कि प्रदेश में ऊर्जा की मांग को पूरा करने और उत्तर प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमने कुछ ऊर्जा बिडिंग प्रोसेस से खरीदने का निर्णय किया है। हमारी शर्त थी कि जब यह प्लांट उत्तर प्रदेश में लगेगा तभी बिजली खरीदेंगे। जिसमें 7 कंपनियां आई थीं। इनमें से 5 कंपनियों ने टेंडर में हिस्सा लिया। पांचों कंपनियों में अडानी पावर लिमिटेड का रेट सबसे कम था उसे स्वीकार कर लिया गया है। 2030-31 में जब पावर प्लांट तैयार होगा तब भी टैरिफ 6.10 रुपए पड़ेगा जो हमारे सार्वजनिक संयंत्रों की बिजली से सस्ता होगा।
उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के अध्ययन के अनुसार, राज्य को वर्ष 2033-34 तक लगभग 10,795 मेगावाट अतिरिक्त तापीय ऊर्जा की जरूरत होगी। इसके साथ ही 23,500 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा के लिए भी रोडमैप तैयार किया गया है। पिछले वर्ष जून में 30 हजार मेगावाट की बिजली की मांग थी। इस वर्ष इसके और बढ़ने की संभावना है।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने आरोप लगाया है कि निजीकरण के पहले बहुत मंहगी दरों पर बिजली खरीद करार से साफ है कि निजीकरण के बाद आम उपभोक्ताओं को मंहगी बिजली देने की तैयारी है। विद्युत उत्पादन निगम की अनपरा ‘ए’ परियोजना से 2.816 रूपये प्रति यूनिट, अनपरा ‘बी’ परियोजना से 2.502 रूपये प्रति यूनिट तथा अनपरा ‘डी’ परियोजना से 3.574 रूपये प्रति यूनिट की दर से बिजली मिल रही है। निजी कंपनी की दरें बहुत ज्यादा है।
विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश के 42 जिलों के विद्युत वितरण के निजीकरण का मसौदा तैयार करने वाली ग्रांट थ्रॉनटन विवादों में है। पूर्वांचल की बिजली के निजीकरण के बाद उपभोक्ताओं को मंहगी बिजली मिलेगी।
ध्यान रहे प्रदेश के नोएडा व आगरा का विद्युत वितरण पहले ही निजी कंपनियों के पास है।